Shaktishali Devi Chamunda ka Chand-Mund Vadh | Full Animated Story | Cartoon Tales Studio | Part 3
Episode 2: चंड-मुंड का संहार
धुएं और राख से घिरे युद्ध के मैदान में, चारों ओर मची तबाही और मरे हुए सैनिकों की गंध हवा में तैर रही थी। धरती खून से लाल हो चुकी थी, और देवी के क्रोध की अग्नि पूरे पर्वत को जलाने पर उतारू थी। युद्ध का नजारा इतना भयावह था कि हर जीव, चाहे वह पक्षी हो या जानवर, भय से थरथराने लगे थे। पर्वत की चोटी पर देवी की आंखों से निकलते अग्नि के तेज ने आसमान तक को काला कर दिया था। इसी बीच, एक चीख आसमान चीरते हुए गूंजती है, जिसने सारी सृष्टि को एक पल के लिए थमा दिया।
यह वही क्षण था जब देवी कालिका चंड और मुंड को मारकर देवी अंबा के सामने उनके कटे सिर लेकर प्रस्तुत होती हैं। लेकिन इससे पहले कि वे कोई शब्द कह पातीं, अचानक... एक अज्ञात, रहस्यमयी शक्ति आकाश से प्रकट होती है। यह क्या था? और क्यों सब कुछ एक पल के लिए ठहर सा गया?
(मुख्य कहानी की शुरुआत)
महर्षि मेधा ने राजा सुरथ और समाधि वैश्य को आगे की कथा सुनानी शुरू की। उन्होंने कहा, "धूम्रलोचन की हार और मृत्यु के बाद शुंभ-निशुंभ का क्रोध सातवें आसमान पर था। वे अपने मंत्रियों के साथ गुप्त कक्ष में बैठे थे, लेकिन उनके चेहरे पर चिंता की गहरी लकीरें साफ नजर आ रही थीं। शुंभ ने अपने अनुचर चंड और मुंड की ओर देखा और क्रोधित स्वर में कहा, 'धूम्रलोचन को मारने की हिम्मत उस स्त्री में कैसे हुई? उसे अब सबक सिखाना होगा! चंड, मुंड! जाओ और उस स्त्री के सिंह को मार दो, ताकि वह निहत्थी हो जाए और उसे खींचकर मेरे दरबार में लाओ। अब समय आ गया है कि वह जान पाए कि असुरों से टकराने का अंजाम क्या होता है!'"
(दूसरा दृश्य: चंड-मुंड की योजना)
चंड और मुंड दोनों दानव भयावह हंसी हंसते हुए सेना तैयार करने लगे। उनकी आंखों में क्रूरता और घमंड की चमक थी। उन्होंने अपने विशाल सेना को साथ लेकर पर्वत की ओर कूच किया, जहां देवी अपनी साधना कर रही थीं। जैसे ही वे पर्वत के पास पहुंचे, आकाश में बादल घिरने लगे और हवा में अजीब सी गूंज सुनाई देने लगी।
चंड ने मुंड से कहा, "यह साधारण स्त्री नहीं है, उसकी शक्तियों को कम मत समझना। लेकिन इस बार, हम उसे उसकी ही चाल में फंसाएंगे।"
मुंड ने सहमति में सिर हिलाया, "इस बार वह नहीं बच पाएगी।"
(तीसरा दृश्य: देवी का विराट रूप)
पर्वत के शिखर पर साधना में लीन देवी अंबा को चंड और मुंड की योजना की खबर हो चुकी थी। उन्होंने अपनी आंखें खोलीं, और उनके भीतर से एक अद्भुत तेज प्रकट हुआ। आसमान में बिजली की गड़गड़ाहट और चारों दिशाओं में फैली प्रकाश किरणें उनकी उपस्थिति का आभास देने लगीं। देवी ने सोचा, "यह समय है, जब मेरे भीतर की शक्तियां प्रकट होंगी।"
देवी ने एक मंत्र उच्चारित किया, और उस मंत्र की शक्ति से उनकी माया से योगिनियों का प्राकट्य हुआ। हर एक योगिनी शक्ति देवी का आत्म स्वरूप थी—शत्रु को नष्ट करने के लिए उत्पन्न हुई अद्भुत शक्तियां। देवी ने अपनी माया से उन योगिनियों को आदेश दिया, "असुरों के इस आतंक को समाप्त करो!"
जैसे ही योगिनियां युद्ध भूमि में उतरीं, चंड और मुंड की सेना हक्की-बक्की रह गई। असुरों को चारों ओर सिर्फ एक ही स्वरूप दिख रहा था—हर दिशा से देवी की ही शक्तियां उन पर हमला कर रही थीं। युद्ध शुरू हो गया था, और रक्त की धारा बहने लगी। देवी की क्रोधाग्नि से असुरों के मन में भय समा गया, और उनकी सेनाएं टूटने लगीं।
(चौथा दृश्य: कालिका देवी का प्राकट्य)
चंड और मुंड को यह देखकर यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी विशाल सेना पलभर में बिखर रही थी। तभी, देवी अंबा की आंखों से निकली क्रोध की अग्नि एक और रूप में प्रकट हुई। एक अद्भुत शक्तिशाली देवी प्रकट हुईं, जिनका रूप बेहद भयावह था। वे थीं कालिका देवी—मृत्यु का स्वरूप, विनाश की देवी।
कालिका देवी ने रणभूमि में ऐसा संहार मचाया कि असुर सेना में हाहाकार मच गया। हर दिशा में कालिका का रौद्र रूप था, उनके हाथ में खड्ग और मुख से निकली विकराल हंसी ने सारे असुरों को भयभीत कर दिया। उन्होंने एक पल में हजारों असुरों का संहार कर दिया।
(पांचवां दृश्य: चंड का अंत)
चंड ने अपनी सारी शक्ति समेट कर देवी की ओर धावा बोला। उसने अपनी तलवार से देवी पर वार करने की कोशिश की, लेकिन देवी ने उसे अपनी दिव्य शक्ति से रोक दिया। चंड का हर वार विफल हो रहा था, और देवी की आंखों से प्रकट हो रही अग्नि ने उसे और भी विचलित कर दिया।
अचानक, देवी कालिका ने एक हाथ से चंड का वार रोका और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन पर खड्ग से ऐसा वार किया कि चंड का सिर धड़ से अलग होकर धरती पर गिर पड़ा। असुरों का एक और सरदार रणभूमि में धराशायी हो गया।
(छठा दृश्य: मुंड का वध)
मुंड ने अपने भाई को गिरता देख देवी पर बाणों की वर्षा शुरू कर दी। वह क्रोध और भय से बौखलाया हुआ था, लेकिन उसके सारे बाण देवी तक पहुंचने से पहले ही राख हो गए। तब देवी ने अपने हाथ में भाला उठाया और उसे सीधे मुंड की ओर फेंका। भाले की गति इतनी तीव्र थी कि मुंड के शरीर को भेदते हुए वह धरती पर गिर पड़ा। उसकी मृत्यु हो चुकी थी, और देवी ने चंड-मुंड का अंत कर दिया था।
(सातवां दृश्य: देवी का आशीर्वाद)
चंड-मुंड के कटे सिर लेकर, देवी कालिका अंबा के सामने पहुंचीं। उनके मुख पर संतोष और विजय की चमक थी। उन्होंने देवी अंबा से कहा, "हे जगदम्बे, इन दोनों दुष्टों का अंत मैंने कर दिया है। अब शुंभ-निशुंभ का वध करने का समय आ गया है।"
देवी अंबा मुस्कुराई और कहा, "हे कालिका, तुमने चंड और मुंड का वध किया है, इसलिए आज से संसार तुम्हें चामुंडा के नाम से जानेगा और तुम्हारी पूजा करेगा।"
(अंतिम दृश्य: सस्पेंस)
देवी कालिका अंबा के आदेश के बाद वहां से प्रस्थान करने लगीं। लेकिन जैसे ही वे कदम बढ़ाने लगीं, आसमान से एक गहरा गर्जन हुआ। चारों ओर घने बादल घिर आए और एक रहस्यमयी छाया पर्वत की ओर बढ़ने लगी।
"यह कौन है?" देवी कालिका ने मन ही मन सोचा।
अचानक आकाश से एक तेज पुंज प्रकट हुआ, जिसने देवी अंबा और कालिका दोनों का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह नई चुनौती क्या थी? क्या यह कोई नई शक्ति थी, या शुंभ-निशुंभ की कोई खतरनाक योजना?
(अगले एपिसोड का सस्पेंस)
आकाश में प्रकट होती इस रहस्यमयी शक्ति ने सबको हैरान कर दिया। इस नई चुनौती का सामना कैसे होगा? क्या देवी इस अनजान शक्ति का सामना कर पाएंगी? और क्या शुंभ-निशुंभ अपनी अंतिम योजना में सफल होंगे?
(समाप्त)
अगले एपिसोड के लिए तैयार रहें! यह देखना दिलचस्प होगा कि देवी के सामने कौन सी नई चुनौती आ रही है! अगले एपिसोड में और भी रोमांचक मोड़ और खतरनाक लड़ाइयों का इंतजार कर रहा है!
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