Bhayanak Bhediya: Shrapit Insaan ki Raat - Darawani Kahani | Horror Story Hindi | Episode 3 #bhediya
भयानक भेड़िया: श्रापित इंसान की रोंगटे खड़ी कर देने वाली कहानी
एपिसोड 3: श्राप का अंत?
रात घनी हो चुकी थी। जंगल में ठंडी हवा चल रही थी, और हर कोने में अजीब सी सरसराहट गूंज रही थी। पूरे गाँव में भेड़िए का आतंक पसरा हुआ था। गाँव वाले अपने घरों में छिपे थे, दरवाज़े बंद और खिड़कियाँ जड़ी हुईं। पूर्णिमा की रात, विक्रम का श्रापित रूप, और उसका गाँव के बच्चों पर हमला, इन सबने गाँववालों को फिर से भयभीत कर दिया था।
विक्रम, अब एक भयानक भेड़िए के रूप में, एक अंदरूनी संघर्ष से गुजर रहा था। वह मोहित को नहीं मारना चाहता था, लेकिन भेड़िया उस पर हावी हो रहा था। साधु की रहस्यमयी आवाज़ और अचानक प्रकट हुई महिला ने भेड़िए को एक पल के लिए ठहरने पर मजबूर किया था, लेकिन भेड़िए के भीतर का जानवर इतनी आसानी से नहीं रुक सकता था।
महिला का रहस्य
महिला के हाथों में चमकती तिलस्मी छड़ी से निकलती रोशनी विक्रम के भेड़िए के रूप को विचलित कर रही थी। उसकी लाल आँखें अब महिला की ओर घूर रही थीं। भेड़िया उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह एक अजीब उलझन में था।
महिला ने अपनी छड़ी से एक हल्की सी लकीर खींची और विक्रम को रोकने के लिए एक मंत्र का उच्चारण किया। विक्रम, जो अब आधे भेड़िए और आधे मानव में तब्दील हो चुका था, उस रोशनी से पीछे हटने लगा।
महिला: "तुम्हारा अंत अभी तय नहीं हुआ है, विक्रम। तुम्हारे पास एक मौका है। लेकिन अगर तुमने इसे खो दिया, तो तुम हमेशा के लिए इस श्रापित रूप में रह जाओगे।"
भेड़िया, गुस्से में दहाड़ते हुए, महिला की ओर बढ़ने ही वाला था कि उसने मोहित की ओर एक नज़र डाली। मोहित अभी भी स्तब्ध खड़ा था, उसकी आँखों में मासूमियत और डर दोनों थे। विक्रम के अंदर का मानव जाग रहा था। उसकी मानवीय भावनाएं धीरे-धीरे लौटने लगीं, और वह मोहित को मारने से खुद को रोकने की कोशिश कर रहा था।
साधु की वापसी
जैसे ही महिला विक्रम से बात कर रही थी, जंगल के एक कोने से साधु की आवाज फिर से गूंज उठी। इस बार उसकी आवाज पहले से ज्यादा गंभीर थी। साधु जंगल के अंधेरे से बाहर निकला और विक्रम के सामने खड़ा हो गया।
साधु: "विक्रम, तुम्हें खुद को बचाने का आखिरी मौका दिया जा रहा है। लेकिन इसका मतलब है कि तुम्हें अपनी सबसे बड़ी कमजोरी का सामना करना होगा।"
विक्रम, जो अब पूरी तरह से एक भेड़िए में बदल चुका था, साधु की बातों को समझने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उसकी जानवरों की प्रवृत्ति उसे साधु पर हमला करने के लिए उकसा रही थी।
विक्रम (भेड़िए की दहाड़ में): "मैं इस श्राप से कैसे बच सकता हूँ? मैंने पहले ही बहुत खून बहाया है।"
साधु ने एक गहरी साँस ली और बोला, "इस श्राप का अंत तुम्हारे हाथों में ही है। तुम्हें अपनी आत्मा की पवित्रता को पहचानना होगा, लेकिन तुम तब तक इसे नहीं समझ सकते जब तक तुम अपने अतीत का सामना नहीं करते।"
अतीत का रहस्य
जैसे ही साधु ने यह कहा, विक्रम के दिमाग में उसकी पुरानी यादें तैरने लगीं। उसकी आँखों में अतीत की घटनाओं की झलक दिखाई दी। वह एक छोटे बच्चे के रूप में खुद को देख रहा था, जब उसकी माँ ने उसे एक डरावनी कथा सुनाई थी। कथा उस गाँव के पुराने श्राप के बारे में थी, जो किसी व्यक्ति को हर पूर्णिमा पर एक भेड़िए में बदल देता था। लेकिन विक्रम ने कभी इस कहानी को गंभीरता से नहीं लिया था।
विक्रम की माँ (यादों में): "अगर कोई व्यक्ति इस श्राप को झेलने के लिए चुना जाता है, तो वह तब तक नहीं बच सकता जब तक वह अपने भीतर की सच्चाई को नहीं पहचानता।"
विक्रम को अचानक एहसास हुआ कि उसका अतीत, उसकी माँ, और यह पुराना श्राप कहीं न कहीं आपस में जुड़े हुए थे। वह समझ गया कि उसकी माँ ने उसे इस श्राप से बचाने के लिए कई कोशिशें की थीं, लेकिन उसकी ज़िद और अहंकार के कारण वह इसे कभी समझ नहीं पाया था।
आखिरी संघर्ष
विक्रम के भेड़िए रूप और उसकी मानवीय आत्मा के बीच संघर्ष और तीव्र हो गया। महिला और साधु दोनों उसकी मदद करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन विक्रम का जानवरों वाला रूप उसके मनुष्य वाले रूप पर हावी हो रहा था। मोहित की जान बचाने का समय कम होता जा रहा था। भेड़िए ने एक बार फिर मोहित की ओर झपटा, लेकिन इस बार महिला ने अपनी तिलस्मी छड़ी को विक्रम के सामने लाकर रोशनी को और तेज़ कर दिया।
महिला (गंभीर स्वर में): "तुम्हें अब फैसला करना होगा, विक्रम। या तो तुम इस मासूम बच्चे को बचाओगे, या हमेशा के लिए एक भेड़िए के रूप में फंसे रहोगे।"
विक्रम के भीतर एक जंग छिड़ गई थी। उसकी आँखों में एक पल के लिए आँसू दिखाई दिए। वह मोहित की मासूमियत को देख रहा था, जैसे वह अपने बचपन को देख रहा हो। वह समझ गया था कि अगर उसने इस मासूम की जान ली, तो वह अपने आप को पूरी तरह खो देगा।
अंतिम निर्णय
विक्रम के मन में चल रहे संघर्ष ने उसे एक बड़ी सच्चाई तक पहुँचाया। वह जानता था कि यह उसकी आखिरी मौका था। उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर भेड़िए के रूप को रोकने की कोशिश की। उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं, उसकी साँसें भारी हो गईं, और उसकी आँखें धीरे-धीरे इंसान की तरह दिखने लगीं।
वह कांपते हुए अपनी जगह पर खड़ा हो गया और अपने पंजों को वापस खींच लिया। उसकी मानवीय आत्मा ने भेड़िए की प्रवृत्तियों को एक पल के लिए रोक दिया। विक्रम ने खुद को मोहित के पास पहुंचने से रोक लिया और रोते हुए ज़मीन पर गिर पड़ा।
विक्रम (भेड़िए की आवाज़ में): "मैं इसे और नहीं कर सकता... मैं मासूम लोगों की जान नहीं ले सकता।"
महिला ने अपने तिलस्मी डंडे को फिर से ऊपर उठाया और विक्रम के ऊपर कुछ मंत्र बोले। धीरे-धीरे विक्रम का शरीर वापस मानव रूप में बदलने लगा। उसकी नाखून और दांत वापस इंसानी आकार में आ गए, और उसके चेहरे की दहाड़ भी शांत हो गई।
रहस्यमयी अंत
जैसे ही विक्रम इंसान में तब्दील हुआ, साधु ने एक गहरी साँस ली और बोला, "तुमने आज एक मासूम की जान बचाई, लेकिन श्राप का असली रहस्य अभी बाकी है। अगले पूर्णिमा से पहले तुम्हें इसके मूल तक पहुँचना होगा।"
विक्रम ने थकी हुई आँखों से साधु और महिला की ओर देखा। उसकी आँखों में सवाल थे—कौन थी यह रहस्यमयी महिला? और क्या यह श्राप सच में समाप्त हो सकता है?
महिला ने उसकी ओर देखा और धीमे स्वर में बोली, "तुम्हारे पास समय बहुत कम है, विक्रम। अगर तुमने अगले पूर्णिमा तक इस श्राप का हल नहीं ढूंढा, तो तुम हमेशा के लिए भेड़िए के रूप में फंस जाओगे।"
अंधेरे में महिला का चेहरा फिर से धुंधला हो गया, और वह हवा में गायब हो गई। विक्रम अपने घुटनों के बल बैठा रहा, उसकी साँसें तेज़ थीं। वह अब जानता था कि उसे केवल खुद को नहीं, बल्कि पूरे गाँव को इस श्राप से बचाना होगा।
सस्पेंसफुल अंत
क्या विक्रम अगले पूर्णिमा तक श्राप का असली रहस्य समझ पाएगा? कौन थी वह रहस्यमयी महिला, और साधु का असली मकसद क्या है? अगले एपिसोड में इस भयानक कहानी का अंतिम खुलासा होगा।
Post a Comment