Brahmarakshas ki kahani | Hindi Kahani | Cartoon tales studio
ब्रह्मराक्षस की भयानक कहानी - पहला एपिसोड
Scene की शुरुआत होती है एक ठंडी, काली रात से। घने जंगल में हवा डरावनी आवाज़ में गूंज रही है, और चाँद घने बादलों के पीछे छिपा हुआ है, जिससे चारों ओर घना अंधेरा छाया हुआ है। दूर कहीं एक घंटी की आवाज़ सुनाई देती है जो सन्नाटे को और भी डरावना बना देती है। कैमरा धीरे-धीरे जंगल के बीच से गुजरता है, जहां पत्तियों की सरसराहट और छायाएं दिखाई देती हैं। अचानक, एक व्यक्ति दौड़ता हुआ नजर आता है, उसकी सांसें तेज़ चल रही हैं, जैसे वह किसी डरावनी चीज़ से भाग रहा हो।
नैरेटर की आवाज़ (गहरी और रहस्यमयी लहजे में): "इस दुनिया में कुछ ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में जानने की हिम्मत बहुत कम लोग करते हैं। यह कहानी है उस शापित आत्मा की, जिसने मृत्यु के बाद भी संसार को अपनी भयानकता से कांपने पर मजबूर कर दिया। यह कहानी है... ब्रह्मराक्षस की!"
Scene बदलता है और कैमरा एक प्राचीन, वीरान गांव को दिखाता है, जो एक डरावने, शापित जंगल "काल वन" के किनारे बसा है। यह गांव अजीब खामोशी में डूबा हुआ है, जैसे यहां बहुत पहले कोई भयंकर घटना घटी हो।
अर्जुन: "कौन है ये ब्रह्मराक्षस? क्यों लोग इसका नाम लेने से डरते हैं?"
गांव के बुजुर्ग, बाबा शिवराम, जो एक बूढ़े व्यक्ति हैं, अर्जुन को अपनी झोपड़ी में बुलाते हैं। झोपड़ी के अंदर धूप और लोबान की महक फैली है, और दीवारों पर रहस्यमयी छायाएं नाच रही हैं।
अर्जुन को ये बातें रहस्यमयी तो लगती हैं, लेकिन वह डर की जगह जिज्ञासा से भर जाता है और रुकने का निश्चय करता है, भले ही बाबा शिवराम ने उसे चेतावनी दी हो।
दूर जंगल के किनारे, उसे पेड़ों के बीच एक छाया चलती हुई दिखाई देती है। उस छाया की आँखें लाल रंग में चमक रही हैं, और ऐसा लगता है कि वह अर्जुन को देख रही है।
अचानक, उसे जंगल की गहराई से एक भयानक चीख सुनाई देती है, जो पीड़ा और क्रोध का मिश्रण होती है, और उसके शरीर में ठंडक दौड़ जाती है।
मंदिर के अंदर, एक विशाल पत्थर की मूर्ति ब्रह्मराक्षस की दिखाई देती है। हवा में एक अजीब नकारात्मकता महसूस हो रही थी। अचानक, एक तेज़ हवा का झोंका अर्जुन की लालटेन को बुझा देता है, और चारों ओर अंधेरा छा जाता है।
अर्जुन का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता है। वह भागने की कोशिश करता है, लेकिन मंदिर का दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है। वह फंस चुका है। अंधेरे में भारी कदमों की आवाज़ गूंजने लगती है, जो धीरे-धीरे उसकी तरफ आ रही होती हैं।
अर्जुन के चीखने से पहले ही स्क्रीन काले रंग में बदल जाती है, और केवल उसकी तेज़ सांसों की आवाज़ सुनाई देती है।
कैमरा धीरे-धीरे मंदिर की ओर ज़ूम करता है, जहां ब्रह्मराक्षस की लाल चमकती आँखें छायाओं में दिखाई देती हैं, जैसे वह देख रहा हो... इंतजार कर रहा हो।
ब्रह्मराक्षस की भयानक कहानी - दूसरा एपिसोड
गांव में बेचैनी
दूसरे एपिसोड की शुरुआत होती है एक शांत लेकिन भारी माहौल से। गांव में सभी लोग अर्जुन के गायब होने से चिंतित हैं, लेकिन कोई भी खुलकर उसकी तलाश करने की हिम्मत नहीं कर रहा। बाबा शिवराम का चेहरा चिंता और अफसोस से भरा है। उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक है, जैसे उन्हें पता हो कि अर्जुन किस संकट में फंसा हुआ है।
गांव की मुख्य चौपाल पर कुछ लोग इकट्ठा होते हैं, आपस में धीरे-धीरे बात करते हुए। कोई कह रहा है कि अर्जुन वापस नहीं आएगा, तो कोई उसे बचाने के लिए कदम उठाने की बात करता है।
तभी, बाबा शिवराम सबको चुप कराते हुए बोलते हैं।
सभी लोग चुप हो जाते हैं। उनके चेहरों पर डर और असहायता साफ झलकती है। लेकिन किसी के मन में एक सवाल बार-बार गूंज रहा था—क्या अर्जुन अभी भी जीवित है?
अर्जुन की जागृति
अब दृश्य बदलता है और अर्जुन पर फोकस होता है, जो मंदिर के अंदर अंधेरे में बेहोश पड़ा हुआ है। धीरे-धीरे उसकी आंखें खुलती हैं। उसके चारों ओर गहरी नीरवता और घना अंधेरा छाया हुआ है। अर्जुन को धीरे-धीरे एहसास होता है कि वह कहीं फंसा हुआ है। उसकी लालटेन बुझ चुकी है और उसके पास कोई रोशनी नहीं है। वह अपने आसपास टटोलकर रास्ता ढूंढने की कोशिश करता है, लेकिन हर दिशा में उसे पत्थर की ठंडी दीवारें ही मिलती हैं।
उसके दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। अचानक, उसे मंदिर के अंदर से एक धीमी, भयानक फुसफुसाहट सुनाई देती है।
अर्जुन घबराकर उस दिशा में देखता है, जहां से आवाज़ आ रही है, लेकिन उसे कुछ नहीं दिखता। अचानक, मंदिर के एक कोने से हल्की लाल रोशनी टिमटिमाने लगती है। अर्जुन धीरे-धीरे उस रोशनी की ओर बढ़ता है, और जैसे ही वह पास पहुंचता है, उसे एक डरावना चेहरा दिखाई देता है—ब्रह्मराक्षस का चेहरा, उसकी लाल चमकती आंखें और पीड़ा से भरा हुआ विकृत चेहरा।
अर्जुन हड़बड़ाकर पीछे हटता है, परंतु उसे पता चलता है कि मंदिर का दरवाजा अब खुला हुआ है। दरवाजा अब तक बंद था, लेकिन अब बाहर जाने का एक मौका था। अर्जुन तेजी से दरवाजे की ओर भागता है, पर अचानक एक अदृश्य ताकत उसे जकड़ लेती है। उसे ऐसा महसूस होता है कि कोई उसे पीछे खींच रहा है, लेकिन अर्जुन अपनी पूरी ताकत लगाकर खुद को छुड़ाने की कोशिश करता है। वह आखिरकार दरवाजे तक पहुंचता है और बाहर निकलने में सफल हो जाता है।
जंगल का आतंक
मंदिर से बाहर आकर अर्जुन एक पल के लिए राहत महसूस करता है, लेकिन यह राहत ज्यादा देर तक नहीं टिकती। बाहर का जंगल पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक और रहस्यमयी लग रहा है। हर ओर से अजीब-अजीब आवाजें आ रही थीं—पेड़ों के पीछे से सरसराहट, झाड़ियों के बीच से किसी के चलने की आवाज, और कभी-कभी हवा में बहती हुई भयानक फुसफुसाहटें।
अर्जुन तेज़ी से उस पगडंडी पर चलने लगता है, जो उसे गांव की ओर ले जाती है। लेकिन रास्ता उसे बार-बार घूमकर वापस उसी जगह ले आता है, जहां से वह शुरू हुआ था। अर्जुन की हालत अब और खराब होने लगती है। उसे महसूस होने लगता है कि यह जंगल सामान्य नहीं है। यहां कुछ अजीब और अलौकिक है, जो उसे रास्ता भूलने पर मजबूर कर रहा है।
अचानक, अर्जुन को दूर से किसी के चलने की आवाज सुनाई देती है। वह मुड़कर देखता है, लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं देता। उसकी सांसें तेज़ हो जाती हैं। वह समझ नहीं पा रहा था कि उसे क्या करना चाहिए। तभी, उसके सामने एक पेड़ पर ब्रह्मराक्षस के पंजों के निशान उभरने लगते हैं, जैसे वह उसे अपनी ओर खींच रहा हो।
अर्जुन पूरी ताकत लगाकर जंगल से बाहर निकलने की कोशिश करता है। वह दौड़ते हुए गांव की दिशा में बढ़ता है, लेकिन हर बार उसे वही मंदिर दिखाई देता है, जहां से वह भागा था। अर्जुन समझ जाता है कि यह कोई सामान्य जंगल नहीं है। यहां की हर चीज़ शापित है।
रहस्यमयी भेंट
थकान और डर से बेहाल अर्जुन एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है। उसके शरीर में अब और ताकत नहीं बची थी। वह गहरी सांस लेते हुए आंखें बंद कर लेता है। तभी उसे दूर से एक आवाज़ सुनाई देती है, जैसे कोई उसके पास आ रहा हो। अर्जुन घबराकर आंखें खोलता है और देखता है कि एक बूढ़ा साधु उसके सामने खड़ा है।
अर्जुन को राहत की एक किरण दिखाई देती है। वह साधु से मदद की गुहार लगाता है।
साधु गंभीरता से अर्जुन की बात सुनते हैं और फिर कहते हैं, "यह ब्रह्मराक्षस का क्षेत्र है। जो यहां आता है, वह उसकी दुनिया में प्रवेश कर लेता है। यहां से निकलना इतना आसान नहीं है।"
अर्जुन हताश हो जाता है, लेकिन साधु की आंखों में एक अजीब सी चमक थी। वे अर्जुन को एक कड़ा पकड़ाते हैं, जो किसी पुराने धातु से बना था।
अर्जुन साधु की बात समझने की कोशिश करता है, लेकिन उससे पहले कि वह कुछ और पूछ पाए, साधु हवा में गायब हो जाता है। अर्जुन चौंककर चारों ओर देखता है, लेकिन साधु कहीं नहीं था, जैसे वह कभी आया ही नहीं था।
आखिरी प्रयास
अब अर्जुन के पास सिर्फ एक ही रास्ता था—उस कड़े का इस्तेमाल करना और खुद को बचाने की कोशिश करना। वह कड़े को हाथ में पहनकर फिर से गांव की दिशा में बढ़ने लगता है। इस बार उसे पहले जैसी मुश्किलें महसूस नहीं होतीं। रास्ता साफ दिखने लगता है, और अर्जुन को ऐसा लगता है कि अब वह सुरक्षित बाहर निकल पाएगा।
लेकिन जैसे ही वह गांव के पास पहुंचता है, उसे अचानक तेज़ दर्द महसूस होता है। उसका कड़ा गर्म होने लगता है और उसकी कलाई पर जलन होती है। अर्जुन का मन अचानक भारी और विचलित होने लगता है। उसे साधु की बात याद आती है—"यह कड़ा तुम्हें बचाने के साथ-साथ खतरे में भी डाल सकता है।"
अर्जुन समझ नहीं पाता कि अब क्या करना चाहिए। तभी उसके सामने ब्रह्मराक्षस की छाया फिर से उभरती है, और उसकी लाल आंखें अंधेरे में चमकने लगती हैं। अर्जुन का शरीर कांपने लगता है। उसकी सांसें तेज़ हो जाती हैं, और ब्रह्मराक्षस की गहरी, भयानक आवाज़ उसके कानों में गूंजने लगती है।
अर्जुन अपनी पूरी ताकत से चिल्लाता है, लेकिन उसकी आवाज़ कहीं खो जाती है। तभी अचानक, एक तेज़ झटके से सब कुछ अंधेरा हो जाता है, और अर्जुन बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ता है।
सस्पेंस अंत
अगली सुबह, गांव में फिर से खलबली मच जाती है। गांववाले अर्जुन को ढूंढने के लिए जंगल के किनारे जाते हैं, लेकिन इस बार वे कुछ असामान्य पाते हैं। अर्जुन गांव के बाहर बेहोश पड़ा हुआ मिलता है। उसकी कलाई पर जले का निशान था, और उसके चेहरे पर गहरी पीड़ा और भय के भाव थे।
बाबा शिवराम उसे देखकर चौंक जाते हैं। वे समझ जाते हैं कि अर्जुन ने कुछ ऐसा देखा है, जो अब तक किसी ने नहीं देखा था। अर्जुन को गांव में लाया जाता है, लेकिन उसकी हालत स्थिर नहीं है। उसकी आंखें खुली थीं, लेकिन वह किसी अदृश्य डर से कांप रहा था।
कैमरा धीरे-धीरे अर्जुन के चेहरे पर ज़ूम करता है, जहां उसकी आंखें अब भी ब्रह्मराक्षस की छवि देख रही थीं।
ब्रह्मराक्षस की भयानक कहानी – तीसरा एपिसोड
ब्रह्मराक्षस का प्रकोप
अर्जुन की वापसी (Arjun's Return)
अर्जुन धीरे-धीरे होश में आता है। उसका शरीर थका हुआ और भारी महसूस हो रहा है, जैसे किसी ने उसकी आत्मा को खींचने की कोशिश की हो। उसकी आँखें खुलती हैं, लेकिन दृश्य धुंधला है। उसके चारों ओर गांव के लोग खड़े हैं, जिनके चेहरे पर चिंता और भय साफ झलक रहे हैं।
बाबा शिवराम अर्जुन के पास बैठते हैं और उसके माथे पर हाथ रखते हैं।
बाबा शिवराम (चिंतित स्वर में):
"तुमने क्या देखा, बेटे? क्या ब्रह्मराक्षस तुम्हारे पास आया था?"
अर्जुन की आवाज कांप रही थी। उसकी आँखों में डर साफ दिखाई दे रहा था।
अर्जुन (धीरे से, कांपते हुए):
"मैंने उसे देखा... उसकी लाल आँखें... उसकी ठंडी साँसे... उसने कहा कि वह मुझे नहीं छोड़ेगा।"
गांव के लोग पीछे हट जाते हैं, जैसे कि अर्जुन पर ब्रह्मराक्षस की छाया पहले से ही हो।
रहस्य का खुलासा (The Revelation)
बाबा शिवराम अर्जुन को अपने घर ले जाते हैं और उसे आराम करने के लिए कहते हैं। लेकिन अर्जुन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। रात होते ही, अर्जुन को अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगती हैं। उसकी आँखों के सामने बार-बार ब्रह्मराक्षस का चेहरा आ जाता है। वह अपने सपनों में लगातार उसे देख रहा है, और हर बार वह अधिक भयावह होता जाता है।
अर्जुन (स्वयं से, बड़बड़ाते हुए):
"यह सब क्यों हो रहा है? मैं इस श्रापित आत्मा से कैसे बच सकता हूँ?"
बाबा शिवराम अर्जुन की स्थिति समझते हैं। वह उसे एक पुरानी कहानी सुनाते हैं, जो उन्होंने वर्षों पहले सुनी थी।
बाबा शिवराम (धीरे से, गंभीर स्वर में):
"यह शापित ब्रह्मराक्षस किसी साधारण आत्मा का नहीं है। वर्षों पहले, यहाँ एक महान तपस्वी था जिसने अपनी तपस्या से दिव्य शक्तियाँ प्राप्त की थीं। लेकिन उसके घमंड ने उसे ईश्वर की अवहेलना करने पर मजबूर कर दिया। उसे श्राप मिला कि वह एक ब्रह्मराक्षस के रूप में इस दुनिया में भटकता रहेगा। अब वह आत्माओं को पकड़ता है, उन्हें अपनी कैद में ले जाता है।"
अर्जुन की आँखें चौड़ी हो जाती हैं।
अर्जुन (डरते हुए):
"तो क्या वह मेरी आत्मा भी कैद करेगा?"
बाबा शिवराम उसे शांत करने की कोशिश करते हैं लेकिन अंदर से वह जानते हैं कि ब्रह्मराक्षस की शक्ति बहुत बड़ी है और अर्जुन खतरे में है।
ब्रह्मराक्षस का हमला (The Brahmarakshas Strikes)
रात गहरी हो चुकी थी, और गांव में अजीब सी खामोशी छा गई थी। अर्जुन, जो अब तक नींद में था, अचानक से उठ बैठता है। उसे चारों ओर से भयानक आवाजें सुनाई दे रही थीं। उसकी खिड़की के बाहर अंधेरा था, लेकिन उस अंधेरे में कुछ हिलता-डुलता दिखाई दे रहा था।
तभी खिड़की पर एक जोरदार धमाका होता है। अर्जुन तेजी से खिड़की की ओर देखता है, और उसकी साँसे थम जाती हैं। बाहर, ब्रह्मराक्षस की लाल आँखें अंधेरे में चमक रही थीं। उसकी भयानक छवि अर्जुन की ओर घूर रही थी, जैसे कि वह अर्जुन को बुला रहा हो।
ब्रह्मराक्षस (गहरी, गूँजती आवाज में):
"तुम मुझसे बच नहीं सकते, अर्जुन। तुम्हारी आत्मा मेरी है।"
अर्जुन का पूरा शरीर ठंडा पड़ जाता है। वह खिड़की से हटकर पीछे की ओर भागता है, लेकिन तभी दरवाजे पर जोर की दस्तक होती है। ब्रह्मराक्षस अब उसके दरवाजे के बाहर था। अर्जुन का दिल जोर से धड़कने लगता है, और उसे पता था कि अब उसके पास ज्यादा समय नहीं है।
अर्जुन (घबराते हुए, बड़बड़ाते हुए):
"मुझे कुछ करना होगा... मैं यहाँ मर नहीं सकता..."
जंगल की ओर दौड़ (The Forest Chase)
अर्जुन तेजी से अपने कमरे से बाहर भागता है। वह बिना सोचे-समझे सीधा जंगल की ओर दौड़ता है। गांव के लोग उसे रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन अर्जुन के मन में केवल एक ही बात थी—भागो, जितनी दूर हो सके ब्रह्मराक्षस से भागो।
जंगल के अंदर घुसते ही, अर्जुन को लगा कि उसे कोई पीछे से देख रहा है। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और हर दिशा से अजीब आवाजें आ रही थीं। पेड़ों के बीच से सरसराहट हो रही थी, जैसे कोई बहुत बड़ा जीव उसके पीछे दौड़ रहा हो।
अर्जुन (डरते हुए, भागते हुए):
"यह जगह शापित है... मुझे यहां से निकलना होगा..."
अचानक से एक पेड़ के पीछे से ब्रह्मराक्षस प्रकट होता है। उसकी भयानक छवि और तेज़ हंसती हुई आवाज़ जंगल में गूँजने लगती है। अर्जुन अब और भी तेजी से भागने की कोशिश करता है, लेकिन हर बार ब्रह्मराक्षस उसकी राह में आ जाता है।
अंतिम सामना (The Final Confrontation)
अर्जुन अब एक घने जंगल के हिस्से में पहुँच चुका था। चारों ओर गहरी धुंध और घना अंधेरा था। वह थका हुआ था, लेकिन उसे पता था कि ब्रह्मराक्षस अब बहुत करीब है। तभी अचानक, अर्जुन के सामने एक पुराना, जर्जर मंदिर दिखाई देता है—वही मंदिर जहाँ उसने पहले ब्रह्मराक्षस का सामना किया था।
अर्जुन (खुद से, घबराते हुए):
"यह वही जगह है... लेकिन अब मैं यहां क्यों आया हूँ?"
तभी मंदिर के अंदर से एक चमकदार रोशनी आती है। अर्जुन की नज़र उस रोशनी पर जाती है, और उसे लगता है कि यह रोशनी शायद उसे ब्रह्मराक्षस से बचा सकती है। लेकिन इससे पहले कि वह अंदर कदम रखे, ब्रह्मराक्षस उसके सामने प्रकट हो जाता है।
ब्रह्मराक्षस (गहरी, गूँजती आवाज में):
"यहां कोई रोशनी तुम्हें नहीं बचा सकती, अर्जुन। तुम्हारी आत्मा मेरी है!"
अर्जुन अब पूरी तरह से फंसा हुआ था। उसके पास कोई रास्ता नहीं था। लेकिन तभी उसे बाबा शिवराम के द्वारा दी गई पुरानी मंत्र याद आ जाती है। वह जोर से मंत्र का उच्चारण करने लगता है।
अर्जुन (जोर से मंत्र पढ़ते हुए):
"ॐ नमः शिवाय... ब्रह्मराक्षस का अंत निकट है!"
ब्रह्मराक्षस जोर से चिल्लाता है, और उसकी लाल आँखें और भी तेज चमकने लगती हैं। वह अर्जुन की ओर बढ़ता है, लेकिन जैसे ही अर्जुन मंत्र पूरा करता है, मंदिर की रोशनी तेज हो जाती है और ब्रह्मराक्षस पीछे हट जाता है।
ब्रह्मराक्षस (क्रोधित होकर):
"यह तुम्हारा अंत नहीं, अर्जुन! मैं लौटूंगा...!"
सस्पेंसफुल अंत (Suspenseful End)
ब्रह्मराक्षस मंदिर की रोशनी में धीरे-धीरे गायब हो जाता है, लेकिन उसकी गूंजती हुई आवाज़ अब भी अर्जुन के कानों में सुनाई दे रही थी। अर्जुन थका हुआ मंदिर के दरवाजे पर गिर जाता है, उसकी सांसें तेज हो रही थीं। उसने किसी तरह अपनी जान बचाई थी, लेकिन वह जानता था कि यह अंत नहीं था।
अगली सुबह, गांव के लोग अर्जुन को फिर से जंगल के किनारे बेहोश हालत में पाते हैं। बाबा शिवराम उसके पास आते हैं और उसकी नब्ज़ को देखते हैं।
बाबा शिवराम (धीरे से, चिंतित स्वर में):
"उसने तुम्हें छोड़ा नहीं है, अर्जुन। ब्रह्मराक्षस की शक्ति अभी भी तुम्हारे पीछे है।"
अर्जुन की आँखें धीरे-धीरे खुलती हैं। उसकी आँखों में अब भी वही डर था। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, बाबा शिवराम गंभीर स्वर में कहते हैं:
बाबा शिवराम:
"अभी एक और आखिरी लड़ाई बाकी है। यह ब्रह्मराक्षस कभी भी तुम्हें छोड़ने वाला नहीं है। तुम्हें अंतिम बार उसका सामना करना ही होगा।"
कैमरा धीरे-धीरे अर्जुन के चेहरे पर ज़ूम करता है, जहां डर और हिम्मत का मिश्रण दिखाई देता है।
Narrator's Voice (मिस्ट्री के साथ):
"क्या अर्जुन ब्रह्मराक्षस से आखिरी बार लड़ पाएगा? क्या उसकी आत्मा बच पाएगी, या वह भी उसी अंधकार में खो जाएगा? जानने के लिए देखिए अगले और अंतिम एपिसोड में..."
(कैमरा धीरे-धीरे ब्रह्मराक्षस के अंधेरे जंगल की ओर जाता है, जहां से उसकी लाल आँखें अब भी चमक रही हैं।)
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ब्रह्मराक्षस की भयानक कहानी - अंतिम एपिसोड
डरावनी शुरुआत
(सर्द रात का अंधकार। हवा के तेज झोंके पेड़ों के बीच से गुजरते हैं, और सूखे पत्तों की सरसराहट से एक अजीब सा सन्नाटा पसरा है। अर्जुन बेहोश पड़ा है। उसकी आंखें धीरे-धीरे खुलती हैं। उसकी धड़कन तेज हो जाती है। उसे महसूस होता है कि वह उस अभिशप्त मंदिर के सामने है।)
Narrator's Voice (मिस्ट्री के साथ):
"अर्जुन की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी। वह उस घातक रात से वापस लौटा था, लेकिन यह उसकी आखिरी चुनौती नहीं थी। ब्रह्मराक्षस अब भी उसे घात लगा रहा था, अपने अंतिम वार के लिए तैयार।"
(अर्जुन की सांसें तेज हो जाती हैं, जैसे वह अपने भीतर कुछ महसूस कर रहा हो। उसकी नजर सामने मौजूद मंदिर पर जाती है, जहां से एक डरावनी आवाज गूंजती है।)
ब्रह्मराक्षस का अंतिम खेल
(अर्जुन उठकर मंदिर की ओर देखता है। उसकी आंखों में भय और साहस का मिश्रण साफ झलक रहा है। वह जानता है कि उसे इस समय भागने का कोई फायदा नहीं होगा। ब्रह्मराक्षस उससे खेल रहा है।)
अर्जुन (स्वयं से):
"यह वही जगह है, जहां से यह सब शुरू हुआ था। अब यह सब यहीं खत्म होगा।"
(अचानक, एक काली छाया मंदिर से निकलती है। ब्रह्मराक्षस, अपने सबसे खतरनाक रूप में, अर्जुन के सामने प्रकट होता है। उसकी आंखें आग की तरह चमक रही हैं और उसके चेहरे पर विकृत मुस्कान है।)
ब्रह्मराक्षस (गहरी, गूंजती आवाज में):
"तुम बचकर नहीं जा सकते, अर्जुन! तुम्हारी आत्मा अब मेरी है।"
(अर्जुन ठिठक कर खड़ा हो जाता है, लेकिन वह हार मानने को तैयार नहीं।)
अर्जुन का आखिरी साहस
(अर्जुन अपने पर्स से एक पुरानी पवित्र माला निकालता है, जिसे बाबा शिवराम ने उसे दिया था। उसकी माला में बंधे हुए मोती एक हल्की रोशनी से चमक रहे हैं।)
अर्जुन (निर्णायक स्वर में):
"यह माला तुम्हारी शक्ति को तोड़ने के लिए है, ब्रह्मराक्षस। तुम्हारे अभिशाप का अंत अब तय है।"
(ब्रह्मराक्षस हंसता है, उसकी हंसी हवा में गूंजती है।)
ब्रह्मराक्षस:
"कोई माला मुझे नहीं रोक सकती। तुम्हारा अंत निश्चित है।"
(अर्जुन, अपनी माला को पकड़कर, मंत्रों का जाप करना शुरू करता है। मंदिर के चारों ओर की हवा अचानक ठंडी हो जाती है। वातावरण में एक अजीब सा तनाव फैल जाता है। अर्जुन की माला की रोशनी तेज होती जा रही है, और ब्रह्मराक्षस की हंसी धीरे-धीरे चुप हो जाती है।)
ब्रह्मराक्षस का प्रलय
(ब्रह्मराक्षस अचानक चिल्लाता है। उसकी आंखें लाल हो जाती हैं, और उसकी चीख पूरे जंगल में गूंज उठती है।)
ब्रह्मराक्षस (क्रोध में):
"तुम मुझे हरा नहीं सकते! मैं अमर हूं!"
(अर्जुन जोर से मंत्र पढ़ता रहता है। ब्रह्मराक्षस की छवि धीरे-धीरे धुंधली होने लगती है। उसकी शक्ति कम होने लगी है, लेकिन वह अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।)
(ब्रह्मराक्षस की पूरी ताकत अर्जुन की ओर केंद्रित होती है। अर्जुन कांपता है, लेकिन हार नहीं मानता।)
अंतिम शक्ति का प्रहार
(अर्जुन की माला अचानक बहुत तेज रोशनी छोड़ती है। ब्रह्मराक्षस चीखते हुए पीछे हटता है, उसकी आंखों में अब डर है।)
अर्जुन (आखिरी बार):
"अब यह खत्म हो जाएगा!"
(अर्जुन की माला से निकलने वाली रोशनी पूरे मंदिर को घेर लेती है, और ब्रह्मराक्षस की छाया धीरे-धीरे विलीन होने लगती है। उसकी चीखें मंद होती जाती हैं, और उसकी शक्ति पूरी तरह खत्म हो जाती है।)
(अर्जुन थककर गिर जाता है, लेकिन उसकी माला अब भी चमक रही है। मंदिर का वातावरण अचानक शांत हो जाता है, और ब्रह्मराक्षस का अंत हो चुका है।)
गाँव की सुबह
(अगली सुबह। अर्जुन वापस गाँव पहुँचता है, जहाँ सभी ग्रामीण उसका स्वागत करते हैं। बाबा शिवराम के चेहरे पर एक मुस्कान होती है, लेकिन उसकी आंखों में चिंता अब भी झलक रही है।)
बाबा शिवराम (मुस्कुराते हुए):
"तुमने असंभव को संभव किया है, अर्जुन। ब्रह्मराक्षस का अंत हो चुका है।"
(अर्जुन मुस्कुराता है, लेकिन उसके दिल में अब भी कुछ अनकहा सा महसूस होता है।)
अर्जुन (गंभीर स्वर में):
"शायद उसका अंत हो गया है, लेकिन मैं जानता हूं कि उसकी छाया अब भी हमारे आस-पास है।"
(बाबा शिवराम चुप हो जाते हैं। अर्जुन गांव वालों के बीच से गुजरता है, और उसकी नजरें जंगल की ओर जाती हैं। वहाँ अब भी अजीब सा सन्नाटा है, जैसे किसी अदृश्य ताकत का इंतजार कर रहा हो।)
ब्रह्मराक्षस की छाया
(अर्जुन गाँव छोड़कर जंगल के किनारे खड़ा होता है। दूर से मंदिर की एक झलक दिखाई देती है, जहाँ से अब भी एक हल्की रोशनी टिमटिमा रही है। अर्जुन की आंखों में एक सवाल है, और उसके पीछे से एक हल्की सी फुसफुसाहट सुनाई देती है।)
ब्रह्मराक्षस (धीमी, गूंजती आवाज में):
"यह अंत नहीं था... मैं वापस आऊँगा।"
(अर्जुन अचानक पलटता है, लेकिन वहां कोई नहीं होता। मंदिर की दिशा से हल्की हवा का झोंका आता है, और उसकी माला की एक मोती टूटकर जमीन पर गिरती है।)
(कैमरा धीरे-धीरे मंदिर की ओर जाता है, जहाँ से ब्रह्मराक्षस की लाल आंखें एक आखिरी बार चमकती हैं।)
Narrator's Voice (सस्पेंस के साथ):
"क्या यह सच में अंत था? या ब्रह्मराक्षस की छाया अब भी हमारे बीच घूम रही है? इसका जवाब समय के साथ ही मिलेगा..."
(स्क्रीन काली हो जाती है, और केवल हवा की आवाज सुनाई देती है।)
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