Suhagan Chudail | क्यों वैदेही की आत्मा इतनी शक्तिशाली है? इसका जवाब है इस कहानी में! | EP 4 Horror
भयानक चुड़ैल की कहानी - चौथा और अंतिम एपिसोड: 'अंतिम संघर्ष'
पिछले एपिसोड का सारांश:
आदित्य ने बाबा रुद्रनाथ की मदद से वैदेही की असली परछाई का सामना किया। जंगल के मंदिर में यज्ञ आरंभ हुआ, लेकिन वैदेही ने अपनी भयावह शक्तियों से हमला कर दिया। बाबा की हालत गंभीर हो गई, और आदित्य को इस संघर्ष को अकेले समाप्त करना पड़ा।
रात की शुरुआत और बाबा की हालत
मंदिर के गर्भगृह के बाहर तेज हवाओं के साथ डरावना सन्नाटा छा गया था। बाबा रुद्रनाथ अब कमजोर हो गए थे। उनकी माला नीचे गिर चुकी थी, और उनका चेहरा थकावट से भर गया था। आदित्य ने उन्हें संभालते हुए पूछा, "बाबा, अब क्या करना होगा? क्या वैदेही को हराने का कोई तरीका बचा है?"
बाबा ने धीमी आवाज़ में कहा, "आदित्य, वैदेही को खत्म करने का समय आ गया है। यह शक्ति तुम्हारे अंदर है। गर्भगृह में जो क्रिस्टल रखा है, वह हमारी आखिरी उम्मीद है। उसे सक्रिय करके ही वैदेही का अंत हो सकता है।"
आदित्य ने बाबा को दीवार के सहारे बिठाया और अपने डर को पीछे छोड़ते हुए गर्भगृह की ओर बढ़ा।
गर्भगृह का भयानक माहौल
गर्भगृह में कदम रखते ही आदित्य ने महसूस किया कि वहाँ की हवा भारी हो गई थी। हर दीवार से एक अजीब तरह की सिहरन महसूस हो रही थी। फर्श पर बने प्राचीन चिह्न वैदेही की कहानी कह रहे थे। बीच में चमकता हुआ क्रिस्टल रखा था, जो हल्की नीली रोशनी फैला रहा था।
जैसे ही आदित्य ने क्रिस्टल की ओर कदम बढ़ाए, मंदिर की दीवारों पर वैदेही की छवि प्रकट हो गई। उसकी भयानक हंसी गूंज उठी, "आदित्य, क्या तुम सच में सोचते हो कि यह क्रिस्टल मुझे रोक सकेगा? मैं अजेय हूँ!"
आदित्य ने अपनी हिम्मत को मजबूत करते हुए जवाब दिया, "तुम्हारा अंत अब नज़दीक है, वैदेही!"
वैदेही का अंतिम हमला
जैसे ही आदित्य ने क्रिस्टल को छुआ, पूरा मंदिर तेज़ रोशनी से भर गया। लेकिन तभी वैदेही ने अपने असली रूप में प्रकट होकर हमला कर दिया। उसकी आँखों से आग की लपटें निकल रही थीं, और उसका चेहरा विकृत हो गया था।
उसने आदित्य की ओर एक ज्वाला फेंकी, जिससे वह बाल-बाल बच गया। आदित्य ने क्रिस्टल को कसकर पकड़ा और बाबा द्वारा सिखाए गए मंत्र का उच्चारण शुरू किया। वैदेही ने अपने पूरे बल से हमला करना शुरू कर दिया। वह हवा में तैर रही थी, और उसकी परछाई पूरे गर्भगृह में फैल गई।
आत्माओं का उदय
वैदेही ने अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए उन आत्माओं को बुला लिया, जिन्हें उसने अपने जीवनकाल में मारा था। ये आत्माएं भयावह रूप में प्रकट हुईं, और उनकी चीखें पूरे मंदिर में गूंजने लगीं।
आदित्य ने इन आत्माओं को अपने पास आते देखा, लेकिन उसने क्रिस्टल की ऊर्जा का इस्तेमाल करके एक सुरक्षा घेरा बना लिया। वह घेरा वैदेही की शक्तियों को कमजोर कर रहा था।
बाबा ने धीमी आवाज़ में कहा, "आदित्य, तुम्हें यज्ञ को पूरा करना होगा। यह क्रिस्टल उसकी आत्मा को उसकी असली जगह पर भेज देगा। जल्दी करो!"
यज्ञ की पूर्णता
आदित्य ने क्रिस्टल को गर्भगृह के केंद्र में रखा और मंत्रों का उच्चारण जारी रखा। क्रिस्टल से तेज़ रोशनी निकलने लगी, जो सीधा वैदेही की ओर बढ़ी। वैदेही ने खुद को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन वह रोशनी उसकी परछाई को धीरे-धीरे पिघलाने लगी।
वैदेही चिल्लाते हुए बोली, "नहीं! यह शक्ति मेरी है। तुम इसे मुझसे नहीं छीन सकते!"
आदित्य ने अपनी आवाज़ को और ऊंचा किया और मंत्र को पूरा किया। रोशनी ने वैदेही की आत्मा को उसकी परछाई से अलग कर दिया।
वैदेही का अंत
जैसे ही आत्मा और परछाई अलग हुए, वैदेही ने एक आखिरी चीख मारी। उसकी आत्मा क्रिस्टल के अंदर समा गई, और उसकी परछाई धुएं में बदलकर गायब हो गई। पूरा मंदिर अचानक शांत हो गया।
आदित्य ने राहत की सांस ली और क्रिस्टल को गर्भगृह के पवित्र स्थान पर रख दिया। बाबा ने धीमी आवाज़ में कहा, "तुमने यह कर दिखाया, आदित्य। वैदेही अब हमेशा के लिए खत्म हो गई है। उसकी आत्मा मुक्त हो चुकी है।"
दृश्य 7: मंदिर का पुनरुत्थान
मंदिर की दीवारें जो पहले दरारों से भरी हुई थीं, अब ठीक हो गईं। पूरी जगह एक दिव्य प्रकाश से भर गई। बाबा ने कहा, "यह मंदिर अब शुद्ध हो चुका है। यह स्थान अब भय का नहीं, बल्कि शांति का प्रतीक होगा।"
आदित्य ने बाबा को सहारा दिया और मंदिर से बाहर निकला। जंगल अब पहले जैसा खौफनाक नहीं लग रहा था। पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देने लगी, और सूरज की पहली किरणें धरती को छू रही थीं।
गाँव की ओर वापसी
आदित्य और बाबा गाँव लौटे, जहाँ परिवार उनका इंतजार कर रहा था। उनकी माँ और भाई ने उन्हें गले लगाया। बाबा ने सबको बताया कि वैदेही का अंत हो चुका है और अब कोई डरने की बात नहीं है।
गाँव के लोग जो लंबे समय से इस आतंक में जी रहे थे, अब राहत महसूस कर रहे थे। आदित्य ने मंदिर के पास जाने का निर्णय किया और वहाँ एक दीपक जलाया, जो हमेशा जलता रहेगा।
एक नई शुरुआत
कुछ महीनों बाद, गाँव में शांति लौट आई। आदित्य ने अपने परिवार के साथ एक नई शुरुआत की। उसने मंदिर की देखभाल का जिम्मा लिया और इसे एक पवित्र स्थल बना दिया।
वैदेही की कहानी गाँववालों के लिए एक सबक बन गई कि कभी भी बुराई को जगह न दें और अच्छाई का मार्ग अपनाएं।
आदित्य ने अपने अनुभव से सीखा कि सच्चाई और साहस से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती।
कहानी का अंत।
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