Chatur Kisan | Moral Story 😱🤯 | trending | cartoon story

एक रहस्यमयी और रोमांचक कहानी

गाँव के बाहरी हिस्से में एक साधारण किसान रहता था, जिसका नाम मोहन था। मोहन अपनी सरलता और परिश्रम के लिए गाँव भर में जाना जाता था। लेकिन उसकी सबसे खास बात थी उसकी बुद्धिमानी। गाँव में लोग उसे "चतुर किसान" कहते थे क्योंकि वह हर मुश्किल परिस्थिति में सही निर्णय लेने की क्षमता रखता था।

एक दिन, गाँव में एक अफवाह फैली कि पास के जंगल में एक खतरनाक शक्ति जाग चुकी है। लोगों का मानना था कि उस शक्ति के कारण गाँव में लगातार आपदाएँ आ रही थीं - कभी अचानक तूफान, कभी फसलों का सूख जाना। लोग डर गए और उस जंगल के पास जाने से कतराने लगे।

मोहन को यह सब सुनकर संदेह हुआ। उसने सोचा, "किसी न किसी को तो इस समस्या की जड़ तक पहुँचना ही होगा। अगर हम इसी तरह डरते रहेंगे, तो गाँव का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।" और उसने ठान लिया कि वह खुद इस रहस्य का पता लगाएगा।

रहस्यमयी जंगल की यात्रा

मोहन एक रात चुपचाप गाँव से निकल पड़ा। उसके हाथ में एक लाठी, एक छोटा दीपक, और उसकी प्रार्थना की माला थी। जैसे ही वह जंगल में पहुँचा, चारों ओर अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देने लगीं। पेड़ अचानक हिलने लगे, और हवा में डरावनी सरसराहट फैल गई। लेकिन मोहन को अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा था। उसने मन ही मन "ओम नमः शिवाय" का जाप करते हुए आगे कदम बढ़ाए।

जंगल के बीचों-बीच पहुँचने पर मोहन ने देखा कि एक विशालकाय गुफा के सामने अजीब सी चमक हो रही थी। गुफा के द्वार पर एक प्राचीन पत्थर की मूर्ति रखी थी, जिसके पास एक शिलालेख था। उसमें लिखा था, "जो भी इस गुफा में प्रवेश करेगा, वह सच से रूबरू होगा, लेकिन उसे अपनी आस्था पर विश्वास बनाए रखना होगा।"

गुफा के भीतर का रहस्य

मोहन ने बिना डरे गुफा के भीतर कदम रखा। अंदर एक बहुत बड़ी चट्टान के ऊपर एक सोने का सिंहासन था, जिस पर एक राक्षसी आकृति बैठी हुई थी। उसकी आँखें जलती हुई अंगारों की तरह लाल थीं, और वह मोहन को घूर रही थी। "तुम कौन हो? इस गुफा में क्यों आए हो?" उस आकृति ने गरजते हुए पूछा।

मोहन शांत स्वर में बोला, "मैं इस गाँव का एक साधारण किसान हूँ। मैं यहाँ यह जानने आया हूँ कि हमारे गाँव पर आपदाएँ क्यों आ रही हैं।"

राक्षसी आकृति ने हंसते हुए कहा, "तुमने बहुत बड़ी गलती की है यहाँ आकर। अब तुम्हें इस रहस्य का पता चल गया है, तो तुम जिंदा नहीं बचोगे!"

चतुर किसान का साहस

मोहन ने समझ लिया कि यह कोई साधारण शक्ति नहीं है, बल्कि यह एक शापित आत्मा है। वह बोला, "तुम्हें लगता है कि तुम मुझे डरा सकती हो? मैं सच्चाई का साथ देने वाला किसान हूँ और मेरा ईश्वर मुझसे कभी दूर नहीं होता।"

उसकी बात सुनकर राक्षसी आकृति क्रोधित हो गई और उसने अपने हाथ से एक शक्तिशाली बिजली का गोला मोहन की ओर फेंका। मोहन ने अपनी लाठी ऊपर उठाई और जोर से "हर हर महादेव" का नारा लगाया। तभी उसकी लाठी से एक तेज प्रकाश निकला और बिजली के गोले को वापस उसी दिशा में धकेल दिया।

राक्षसी आकृति ने आश्चर्य से कहा, "तुम्हारे पास यह शक्ति कैसे है?"

मोहन मुस्कुराते हुए बोला, "जब इंसान सच्चाई और आस्था के साथ होता है, तो उसे किसी भी बुराई का सामना करने से कोई नहीं रोक सकता।"

गुप्त रहस्य का खुलासा

राक्षसी आकृति धीरे-धीरे नरम पड़ गई। उसने धीरे से कहा, "तुम्हें पता है, मैं इस जंगल की रक्षक हुआ करती थी। लेकिन कुछ लालची इंसानों ने मुझे धोखा दिया और मुझे शापित कर दिया। जब तक कोई निडर और आस्थावान व्यक्ति यहाँ आकर मेरी परीक्षा पास नहीं करेगा, मैं इस शाप से मुक्त नहीं हो सकती।"

मोहन ने कहा, "तो तुम्हारी मुक्ति का उपाय क्या है?"

राक्षसी आकृति ने कहा, "मुझे केवल सत्य और धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति द्वारा ही मुक्त किया जा सकता है। अगर तुम मेरी सच्ची परीक्षा पास करोगे, तो यह शाप टूट जाएगा और गाँव पर से आपदाओं का साया हट जाएगा।"

अंतिम परीक्षा

मोहन ने सहर्ष हामी भरी। राक्षसी आकृति ने कहा, "तुम्हें तीन सवालों के जवाब देने होंगे, और अगर तुम गलत हुए, तो तुम्हें इसी गुफा में कैद कर दिया जाएगा।"

पहला सवाल था, "संसार का सबसे बड़ा सत्य क्या है?"

मोहन ने बिना समय गवाएँ जवाब दिया, "मृत्यु।"

दूसरा सवाल था, "मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन है?"

मोहन ने कहा, "उसका अहंकार।"

तीसरा और अंतिम सवाल था, "मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म क्या है?"

मोहन ने गंभीरता से उत्तर दिया, "मानवता और सत्य की सेवा।"

राक्षसी आकृति ने संतोष भरी निगाहों से मोहन को देखा और कहा, "तुमने सही उत्तर दिए। तुम सच्चे आस्थावान हो, और तुम्हारी आस्था ने मुझे मुक्त कर दिया।"

जैसे ही उसने यह कहा, वह आकृति धीरे-धीरे गायब हो गई और गुफा के भीतर एक दिव्य प्रकाश फैल गया।

गाँव की भलाई

गाँव लौटने पर मोहन ने सबको इस रहस्यमयी घटना के बारे में बताया। उसके साहस और आस्था के कारण गाँव पर से आपदाओं का साया हट गया। लोग मोहन की बुद्धिमानी और उसके ईश्वर में अटूट विश्वास की सराहना करने लगे।

कहानी का संदेश यह था कि चाहे परिस्थिति कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, अगर हमारा विश्वास ईश्वर पर अटल है और हम सत्य के मार्ग पर चल रहे हैं, तो कोई भी बुराई हमें हरा नहीं सकती।

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