The Cursed Wolf: A Terrifying Tale of a Man Turned Beast | Episode 1

कहानी शीर्षक: "पूर्णिमा की रात: श्रापित भेड़िया"
(प्रथम भाग)

चाँद धीरे-धीरे आसमान में ऊँचाई पकड़ रहा था। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था, मानो कोई अनहोनी होने वाली हो। गाँव की गलियाँ सुनसान थीं, पेड़ों की शाखाएँ हवा में धीरे-धीरे हिल रही थीं, और हर पत्ता जैसे किसी बड़े तूफ़ान की आहट सुनकर काँप रहा हो। उस रात गाँव के लोग अपने-अपने घरों में बंद थे, क्योंकि वो जानते थे कि आज की रात कुछ अलग थी—यह रात थी पूर्णिमा की।

लेकिन आज की पूर्णिमा की रात बाकी रातों से भिन्न थी। पिछले कुछ महीनों से हर पूर्णिमा की रात गाँव में कुछ अनहोनी हो रही थी। लोग गायब हो रहे थे। कुछ के लाशें मिलतीं, कुछ का कोई अता-पता न होता। और इन सबके पीछे की असली वजह को कोई नहीं समझ पा रहा था। बस एक अफवाह उड़ी थी कि एक भेड़िया गाँव में घूम रहा है—एक ऐसा भेड़िया, जो इंसानों से कहीं अधिक खतरनाक और भयानक था।

आरंभिक दृश्य:

सुनसान गाँव की गलियों में एक परछाई दिखती है। यह परछाई इंसान की है, लेकिन इसके चलने का अंदाज़ असामान्य है। उसके पैरों के नीचे मिट्टी चरमराती है, और जैसे ही वह आगे बढ़ता है, उसके कदम भारी होते जाते हैं। उसका चेहरा छिपा हुआ है, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी प्यास झलकती है।

उसका नाम था विक्रम, एक साधारण किसान, जो गाँव के बाहरी हिस्से में अकेला रहता था। लेकिन विक्रम के साथ कुछ बहुत भयानक हो चुका था। उसे एक पुरानी श्राप ने जकड़ लिया था, जिसे वह छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था। हर पूर्णिमा की रात, विक्रम के शरीर में एक अजीब बदलाव आता था। उसकी आँखें लाल हो जातीं, उसकी त्वचा सख्त होने लगती, और कुछ ही देर में वह एक भयानक भेड़िये में बदल जाता।

अतीत की परछाइयाँ:

विक्रम को याद है वो रात जब उसका सामना एक साधू से हुआ था, जो जंगल के किनारे बैठा था। साधू ने उसे चेतावनी दी थी, “तूने जो किया है, उसका परिणाम तुझे भुगतना होगा। इस श्राप से बचने का कोई उपाय नहीं। हर पूर्णिमा की रात, तू एक भेड़िये में तब्दील हो जाएगा, और तेरा इंसानी रूप तब तक वापस नहीं आएगा जब तक तू किसी मासूम की जान नहीं ले लेता।"

विक्रम ने यह बात तब हँसी में उड़ा दी थी, लेकिन अब उसे समझ आया कि यह कोई साधारण चेतावनी नहीं थी। हर पूर्णिमा की रात, उसकी चेतना उस भेड़िये में बदल जाती थी, और वह अपनी ही आँखों से देखता था कि कैसे वह निर्दोष लोगों की जान लेता था। लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता। श्राप ने उसे जकड़ रखा था।

पहला हमला:

गाँव के बाहर, जंगल की ओर जाने वाली सड़क पर रवि और उसकी पत्नी सुनीता देर रात तक काम से लौट रहे थे। सुनीता ने रवि से कहा, “आज की रात कुछ अजीब लग रही है। ये सन्नाटा, और हवा में अजीब-सी गंध। क्या तुम्हें भी ऐसा महसूस हो रहा है?”

रवि ने उसकी बात हँसी में टाल दी, “अरे, तुम भी ना, इतना मत सोचो। चलो, जल्दी घर चलते हैं।”

लेकिन इससे पहले कि वो अपने घर पहुँच पाते, अचानक झाड़ियों के पीछे से एक भयानक आवाज़ आई। दोनों ने डर के मारे इधर-उधर देखा, और तभी... एक बड़ी परछाई उनके सामने कूद पड़ी। वो भेड़िया था—उसकी आँखें जल रही थीं, दाँत नुकीले थे, और उसका शरीर किसी राक्षस की तरह लग रहा था।

रवि और सुनीता के चिल्लाने की आवाज़ हवा में गूंज उठी। विक्रम का भेड़िया रूप उन पर झपटा, और कुछ ही पलों में वो दोनों उसकी क्रूरता का शिकार बन गए। खून से लथपथ उनके शव वहीं रह गए, और विक्रम का भेड़िया रूप वहाँ से जंगल की ओर भाग गया।

सुबह का रहस्य:

अगली सुबह गाँव के लोग रवि और सुनीता को खोजने निकले। जब उनकी लाशें मिलीं, तो गाँव में दहशत फैल गई। यह कोई साधारण हमला नहीं था। लोग डर के मारे एक-दूसरे से बातें करने लगे।

“ये वही भेड़िया है,” किसी ने कहा, “जिसके बारे में हमने सुना था। लेकिन ये भेड़िया इतना बड़ा और शक्तिशाली कैसे हो सकता है?”

गाँव के बुजुर्गों ने एक पुरानी कथा सुनाई, “यह कोई साधारण भेड़िया नहीं है। यह उस आदमी का श्रापित रूप है जिसने कभी किसी साधू को अपमानित किया था। वह अब श्राप के चलते हर पूर्णिमा की रात एक भेड़िये में तब्दील हो जाता है और तब तक इंसान नहीं बन सकता जब तक वह मासूम लोगों की जान न ले।”

यह सुनते ही गाँव में और भी खौफ़ फैल गया। लोग अपने दरवाज़े बंद रखने लगे, रात के समय बाहर निकलना बंद कर दिया, लेकिन कोई नहीं जानता था कि अगला शिकार कौन होगा।

विक्रम का संघर्ष:

विक्रम हर सुबह अपने खून से सने कपड़ों को देखता, और उसकी आत्मा चिल्लाती। वह खुद से नफ़रत करने लगा था। उसे पता था कि वह जो कुछ भी कर रहा था, वह उसके बस में नहीं था। लेकिन क्या वह इस श्राप से कभी मुक्त हो पाएगा? हर पूर्णिमा की रात वह डरता, क्योंकि उसे पता होता कि उसकी आत्मा एक बार फिर राक्षस में बदल जाएगी।

एक रात, जब पूर्णिमा की अगली रात थी, विक्रम ने खुद को एक बंद कमरे में कैद कर लिया। वह सोचने लगा कि क्या वह इस रात को किसी तरह टाल सकता है। लेकिन जैसे-जैसे चाँद आसमान में उभरता गया, उसकी आत्मा में एक अजीब-सा कंपन होने लगा। उसकी हड्डियाँ चरमराने लगीं, और उसका शरीर फिर से बदलने लगा।

रहस्यमय मोड़:

विक्रम का दिल तेजी से धड़कने लगा। वह समझ नहीं पा रहा था कि कैसे खुद को रोके। तभी उसकी आँखों के सामने अजीब-सी परछाइयाँ उभरने लगीं। उसकी चेतना धुंधली होने लगी, और अचानक उसके सामने एक अजनबी आ खड़ा हुआ—वह वही साधू था जिसने उसे श्राप दिया था।

“तू इस श्राप से तभी मुक्त हो सकता है, जब तू अपने अंदर के राक्षस को हराने का साहस दिखाएगा,” साधू ने कहा। विक्रम को समझ नहीं आया कि इसका मतलब क्या था। लेकिन उसकी आत्मा अब पूरी तरह से भेड़िये के रूप में बदल चुकी थी, और वह अपने विचारों पर काबू नहीं रख पा रहा था।

साधू गायब हो गया, और विक्रम का शरीर फिर से भेड़िये में तब्दील हो गया। वह अँधेरी रात में निकल पड़ा, और उसकी आँखों में वही पुरानी प्यास चमक उठी।

अगला शिकार:

गाँव के लोग सो चुके थे, लेकिन गाँव का एक बच्चा मोहित रात में उठकर पानी पीने बाहर निकला। जैसे ही उसने कुएं के पास कदम रखा, उसे झाड़ियों के पीछे से एक आवाज़ सुनाई दी। उसकी आँखों में डर की लकीरें उभर आईं। उसने पीछे मुड़कर देखा, तो उसके सामने वही भेड़िया खड़ा था, जो पिछले कई महीनों से गाँव में तबाही मचा रहा था।

क्या भेड़िया मोहित को भी अपना शिकार बना लेगा? या फिर विक्रम अपनी मानवता को वापस पा सकेगा और इस श्राप को तोड़ने का कोई तरीका ढूंढ सकेगा?

समाप्ति और रहस्य:

भेड़िये ने मोहित की ओर झपटने के लिए कदम बढ़ाया, और तभी… कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर खुद विक्रम भी चौंक गया। उसकी चेतना एक पल के लिए जागी, और उसने अपने पंजों को रोकने की कोशिश की। लेकिन क्या वो सफल होगा? या फिर मोहित उसका अगला शिकार बनेगा?

अगला भाग...

(अभी तो कहानी की शुरुआत है। इस खौफनाक श्राप का अंत क्या होगा? जानने के लिए अगले एपिसोड का इंतजार करें।)

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